हम हर वर्ष रावण के पुतले को जलाते हैं| इसके पीछे बुराई पर अच्छाई की जीत की भावना को दर्शाने व रामायण रूपी बुराई को जड़ से खत्म करने की जीत है|
हम हर बार रावण को उसकी कुकर्मों के लिए याद करते हैं, लेकिन हम यह भूल जाते हैं रावण के अंदर बुराई के साथ-साथ अच्छाई भी थी| उसे महाज्ञानी भी कहा जाता है| इसलिए हमें रावण की अच्छाइयों से सीख लेनी चाहिए ठीक वैसे ही जैसे राम ने लक्ष्मण को रावण से सीख लेने के लिए कहा था|
जब रावण के पास लक्ष्मण गए तो वह शुरू में उसके सिर के पास गया और फिर लौटकर राम के पास आए और बोले कि वह कुछ बता नहीं रहे हैं| इसके बाद राम ने कहा ज्ञान लेना है तो पैर के पास जाओ ना किसी के पास|
इसके बाद राम फिर से रावण के पास गया:-
तो इस बार रावण ने लक्ष्मण को तीन बातें बताया:-
मरते समय रावण की तीन बातें:-
1) सुभस्य शीघ्रम:-
मतलब की शुभ कार्य करने में कभी देरी मत करो जैसे कि किसी शुभ कार्य का चिंतन हो या मन में विचार आए उसे तुरंत पर डालो| और साथ ही साथ अशुभ जितना टाल सकते हो टाल दो|
2) कोई भी शत्रु को कभी भी छोटा समझने की भूल ना करें|:-
रावण ने लक्ष्मण को कहा कि यह उसकी सबसे बड़ी भूल थी| कि उसने भालू सेना और वानर सेना को कमतर माना और सब कुछ इसके वजह से नष्ट करा बैठा| इसलिए रावण सीख दिया कि कभी भी अपने प्रतिद्वंदी यह शत्रु को खुद से छोटा या कम ना समझे|
3) अपना रहस्य कभी भी किसी को ना बताएं:-
महा ज्ञानी रावण ने लक्ष्मण को अगली सीख दी| कि किसी को भी अपना रहस्य भेद गुप्त जानकारी नहीं बतानी चाहिए चाहे वह कोई भी हो| रावण ने लक्ष्मण से कहा कि अगर वह अपनी मृत्यु से जुड़ा रहस्य किसी को भी नहीं बताता तो आज इस मृत्यु शैया पर वह नहीं होता| लेकिन उसने सबसे बड़ी गलती की कि उसने अपने भाई विभीषण पर भरोसा कर उसे यह रहस्य बताया जो कि मेरी सबसे बड़ी गलती थी|
कहां जाता है कि रावण अपने समय का महापंडित था लेकिन उसके ये तीन गलती के कारण वह आज मृत्यु शैया पर है| यह जानकारी उतनी ही कारगर है जितने की पहले था| हमें इस जानकारी को अपने दिमाग में रखना चाहिए| और इनसे बहुत कुछ सीख लेना चाहिए|
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